हाल ही में देश के न्यूज़ चैनल एबीपी न्यूज़ ने अपनी प्रतिष्ठा खो डाली है। बेबाक पत्रकारिता की जगह अब चैनल पर गोदी मीडिया द्वारा साहेब के गुणगान हो रहे हैं। अब चैनल के सिग्नल भी अच्छी तरह से आ रहे हैं। दरअसल ये सारा खेल चैनल और मोदी सरकार की मिलीभगत से रचा गया था। क्योंकि पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने अपने मास्टर स्ट्रोक से बीजेपी की धज्जियाँ उड़ानी शुरू कर दी थी।
1. चैनल ने कहा- मास्टर स्ट्रोक में मोदी का नाम न लें
दरअसल मास्टर स्ट्रोक के जरिये चैनल की टीआरपी भी आसमान छू रही थी, लेकिन चैनल के मालिक चाहते थे कि पुण्य प्रसून बाजपेयी अपनी रिपोर्टिंग में सीधे प्रधानमंत्री के बारे में कुछ न बोले। चैनल का आदेश था कि मास्टर स्ट्रोक में प्रधानमंत्री मोदी का न तो नाम आना चाहिए और न ही उनकी कोई भी वीडियो शो में दिखनी चाहिए।
2. नरेंद्र मोदी बन चुका है बीजेपी का मतलब
सबसे दिलचस्प बात ये है साल 2014 में सत्ता में आई बीजेपी सरकार का मतलब नरेंद्र मोदी है। इस वक़्त हर नीति के लिए बीजेपी का नहीं बल्कि मोदी का नाम ही लिया जाता है। अन्य न्यूज़ चैनल दिन भर पीएम मोदी की वीडियोज चलाते रहते हैं। तो मास्टर स्ट्रोक में पीएम मोदी की वीडियो दिखाने पर इतना बवाल क्यों है ?फर्क सिर्फ इतना है कि गोदी मीडिया पीएम मोदी की गलत नीतियों की सही बताकर फर्जी खबरें चलाता है।
3. मास्टरस्ट्रोक में होता था मोदी सरकार के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश
पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी के मास्टर स्ट्रोक में इसी फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया जाता है। जिससे मोदी सरकार की सच्चाई उजागर होती थी। माना जाता है कि मीडिया कभी भी सत्तापक्ष नहीं होता। मीडिया का दायित्व है कि वह लोगों तक सरकार की सच्चाई लाए। लेकिन आज के दौर में उल्टा है, सरकार का तो कोई दीन-ईमान है ही नहीं। बल्कि मीडिया भी सरकार के हाथों बिक चुका है।
4. गोदी मीडिया दिनभर करता है मोदी-मोदी
आज के वक़्त में गोदी मीडिया दिन बाहर मोदी सरकार की झूठी खबरें बढ़ा चढ़ा कर चैनल पर चलाते रहते हैं। क्योंकि इससे उनकी टीआरपी बढ़ती है। मोदी भक्तों के घरों में सारा दिन ज़ी न्यूज़ और इंडिया न्यूज़ जैसे चैनल चलते हैं, जिन्हे सिर्फ मोदी के बारे में ही सुनना है।
निष्कर्ष:
गौरतलब है कि ईमानदारी के आगे मोदी सरकार का कोई बस नहीं चलता। ईमानदारी एक ऐसी ताकत है, जो बड़े-बड़ों के घुटने टिकवा देती है।