देश में जहाँ एनकाउंटर को बंद करने के लीये लोग पूरी जोर लगा रहे है। वही UP पुलिस ने सरे हदें पर कर दी।प्रमोशन, पैसा और पब्लिसिटी…ये तीनों हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश के सारे नहीं, तो कुछ पुलिस अधिकारी शार्ट कट के तौर पर फर्जी मुठभेड़ों का रास्ता अपनाने के लिए भी तैयार लगते हैं। इंडिया टुडे के एक स्टिंग ऑपरेशन में या बात खुल के सामने आयी जिसमे एक पुलिस वाले ने या बात खुल के बतायी।
डीजीपी ने पैसे लेकर फर्जी एनकाउंटर करने वाले स्टिंग के सामने आते ही आरोपी तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है.
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने तीन आरोपी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने के साथ ही मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. आगरा के एसएसपी अमित पाठक ने तीनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किए जाने की पुष्टि की है. विभागीय जांच एडिशनल एसपी को दे दी है.
फ़िलहाल योगी जी या बात को मानाने से इंकार कर रहे है। आपको बताते की योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान मुठभेड़ों में मरने वालों का आंकड़ा 60 से ऊपर पहुंच गया है। सिर्फ आगरा ज़ोन में 241 मुठभेड़ हुई हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से की गई करीब 1500 मुठभेड़ों में 400 के आसपास लोग घायल हुए हैं। इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम की जांच से सामने आया कि यूपी पुलिस के कुछ सदस्य झूठे मामलों में निर्दोष नागरिकों को फंसा रहे हैं और फिर उन्हें फर्जी मुठभेड़ों में शूट कर रहे हैं। ये सब तरक्की और दूसरों से पैसा लेकर किसी को ठिकाने लगाने के इरादे से किया जा रहा है।
यूपी में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से सिर्फ आगरा ज़ोन में 241 मुठभेड़ हुई हैं। स्थानीय चित्राहाट पुलिस स्टेशन के एक सब इंस्पेक्टर ने एक निर्दोष नागरिक को मारने के लिए आठ लाख रुपये कीमत लगाई। इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने जांच के तहत खुद को कारोबारी बताते हुए अपने एक काल्पनिक प्रतिस्पर्धी को फर्जी मामले में फंसाने के लिए सब इंस्पेक्टर से संपर्क किया। इसी दौरान फर्जी मुठभेड़ का मामला सामने आया।